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August 2, 2017
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Mohit Khasa आरती जाट - देवता
जय जग जाट हरे, स्वामी जय जग जाट... moreआरती जाट - देवता
जय जग जाट हरे, स्वामी जय जग जाट हरे।
दो दो गज की मूंछे, कान्धै लट्ठ धरै।। जय।।
पंचों का सरपंच कहाये, हाथ रहे चलता। स्वामी।
देता भूत उतार तभी, जो तीन पांच करता।। जय।।
अन्न विधाता कहलाता तू, हे हलधर नामी। स्वामी।
तुम बिन बात बने ना मेरी, लट्ठमार स्वामी।। जय।।
चिलम-तम्बाकू और हुक्के की, धूप लगे तेरी। स्वामी।।
मठा-दही के साथ कलेवा, दो गुड़ की पेड़ी।। जय।।
तुम हो निशाचरों के मारक, निर्बल के साथी। स्वामी।।
सोया भूत जागता जाये, जै पड़ जावे लाठी।। जय।।
सूरजमल सी चाल चले तू, नाहर सा गरजे। स्वामी।
भगतसिंह बनकर तू इंकलाब करदे।। जय।।
दगाबाज और जालसाज के, भर देता भूसा। स्वामी।।
चोर, उचक्का, झूठा भागे, सात - सात कोसा।। जय।।
रोड़ा, राह बने ना कोई, जो खेंच कान देता। स्वामी।।
जब-उठै तलब दूध की, पी एक भैंस लेता।। जय।।
जो ये पढ़ै आरती जाट की, तो आरक्षण मिलज्या। स्वामी।।
साथ सभी के जाट हवासिंह का मन भी खिलज्या।।
समर्पण
तन मन धन से जिनका जीवन, जाति के हित अर्पित है।
‘जाट चालीसा’ सही जाट का, जाटो ! तुम्हें समर्पित है।। less
May 10, 2017
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Mohit Khasa has added a new profile photo.
January 7, 2017
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January 7, 2017
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